रूप के सागर को अक्षरों की सीमा में कोई कैसे बाँधे?
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मीरा जी चरित्र
- मीरा ने अपने ठाकुर का नाम क्या रखा और क्योँ
- जब नन्ही मीरा ने गिरिधर के लिए प्रथम बार पद गाया
- कैसे रिझाती है मीरा अपने गिरिधर को
- तेरा बींद गिरधर गोपाल है
- तुम तो पतित अनेक उधारे
- बहुत दिनों से बाट निहारूँ
- व्याकुल प्राण धरत नहीं धीरज
- मोहे लागी लगन गुरू चरणन की
- वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरू
- मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई .
- मीरा की विवशता
- तुम मेरे ठाकुर मै तेरी दासी .
- दास मीरा लाल गिरधर जीवणा दिन चार
- मैं तो तेरी शरण पड़ी रे रामा
- म्हाँरी सुध लीजो दीनानाथ
- गिरधर लाल प्रीत मति तोड़ो
- मीरा की व्यथा
- भोजराज की भीष्म प्रतिज्ञा
- मात पिता अर कुटुम कबीलो सब मतलब के गरजी
- मीरा जी का भाव-राज्य
- कोई कहियो रे प्रभु आवन की
- ऐ री मैं तो प्रेम दीवानी
- साँवरा, म्हाँरी प्रीत निभाज्यो जी
- म्हें तो दासी जनम जनम की
- मीरा प्रभु गिरधर लाल सूँ करी सगाई हाल
- मीरा का विवाह
- मीरा के प्रभु गिरधर नागर छवि लखि भई निहाल
- मीरा के प्रभु मन्दिर पधारो,करके केसरिया साज
- मन में अगर दृढ़ विश्वास हो तो उपासना फल देती है
- उपासना मन की शुद्धि का साधन है
- मीरा का गिरिधर से विवाह
- यह जगत तो प्रभु का रंगमंच है
- भनक सुनी हरि आवन की
- सुनो हो मैं हरि आवन की अवाज
- म्हाँने मिल गया ब्रजराज
- जागो वंशीवारे लालना जागो मेरे प्यारे
- सत्संग बिना तो प्राण प्यासे है
- भोजराज का त्याग
- मीरा का भावावेश
- आसक्ति अथवा मोह ही समस्त बुराइयों की जड़ है
- ज्ञान , भक्ति और कर्म सरल साधन है
- मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरि चरणा चित धार्यो
- मीरा का विरहाआवेश
- मीरा चरित्र - यह पारस लोहे को भी पारस बना देता है
- मेरे पति गिरधर तो अविनाशी है.
- राणाजी मैं तो गोविंद के गुण गासूँ
- मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरि चरणाँ चित दीजो
- भगवान के विधान में सज़ा नहीं सुधार है
- इच्छा का मूल मोह है
- मीरा के शब्दों में ज्ञान,वैराग्य और भक्ति की व्याख्या
- मीरा चरित्र - संतो कर्म की गति न्यारी
- ऐ री मैं तो प्रेम दीवानी
- मीरा चरित्र - राणा जी या बदनामी लागे मीठी हो
- मीरा चरित्र - हरि मेरे जीवन प्राण अधार
- मैं तो साँवरे के रंग राची
- मीरा चरित्र - निरखि दृगन में नीर भरयो छे
- मीरा चरित्र - ये शुद्ध मन के निश्छल भावों के भूखे है
- मीरा के प्रभु गिरधर नागर दीनबन्धु महाराज
- पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे
- मारने वाले से बचाने वाला बहुत बड़ा है
- म्हाँरा तो गिरधर गोपाल
- दासी मीरा लाल गििरधर चरनकमल पर सीर
- हरि तुम हरो जन की पीर
- रूप के सागर को अक्षरों की सीमा में कोई कैसे बाँधे?
- मीरा चरित्र -हरियाली चहुँ ओर जी
- मीरा चरित्र -चढ़ता तो दीखे वैकुण्ठ ,उतरताँ ब्रजधाम
- मीरा के प्रभु हरि अविनाशी कीजो प्रीत खरी
- मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर गोपियन को चितचोर
- बालपन में मीरा कीन्हीं गिरधर लाल मिताई ।
- मीरा चरित्र -जासो बढ़े सनेह राम पद ऐसो मतो हमारो
- मीरा चरित्र - छैलछबीलो महाराज साँवरिया
- साँवरो होली खेल न जाँणे
- मीरा चरित्र - साँवरो होली खेल न जाँणे
- मीरा चरित्र - उस छलिया का क्या भरोसा
- मीरा चरित्र - होली की बरजोरी
- मीरा चरित्र - धन्य ये क्षण,यह दुर्लभ अवसर
- मीरा चरित्र - पिया तज गये हैं अकेली
- मीरा चरित्र - हम सब ही चाकर है उस म्होटे धणी के
- मीरा चरित्र - म्हाँरे घर आयो प्रियतम प्यारा
- मीरा चरित्र - मैं गोविन्द के गुण गाणा
- मीरा चरित्र - चित्तौड़ से मेड़ता वापसी
- मीरा चरित्र - अपने लक्ष्य की ओर एक और पग
- मीरा चरित्र - जिन भेषाँ मेरो साहिब रीझो सो ही भेष धरूँगी
- मीरा के प्रभु गिरधर नागर चरण कँवल पर सीर
- मीरा चरित्र - ले लेहु री कोउ स्याम सलोना
- मीरा चरित्र - आली म्हाँने लागे वृन्दावन नीको
- मीरा चरित्र - गौर कृष्ण की दासी मीरा रसना कृष्ण बसै
- मीरा चरित्र - मीरा का आलौकिक वृन्दावन में प्रवेश
- मीरा चरित्र - अब और विरह नहीं सहा जाता
- मीरा चरित्र - निकुंज में प्रवेश पाकर मीरा की देह आलौकिक हुई
- मीरा चरित्र - प्रभु के विधान में जीव का मंगल ही मंगल निहित है
- मीरा चरित्र - ऐ री मैं तो प्रेम दीवानी
- मीरा चरित्र - स्याम ! म्हाँने चाकर राखो जी
- मीरा चरित्र - मीरा रे प्रभु गिरधर नागर हिवड़ो घणो अधीरा
- मीरा के प्रभु गिरधर नागर बार-बार बलि जाऊँ
- मीरा चरित्र - मीरा ने देखा अपना माधवी रूप
- मीरा चरित्र - सत्यता की साक्षी देता वह स्वर
- मीरा चरित्र - उस रूप-समुद्र ने उमड़कर ह्रदय को लबालब भर दिया
- मीरा चरित्र - परिमार्जन के लिए कलिकाल में जन्म लेकर भक्ति-पथ का अनुसरण
- मीरा चरित्र - तो सदैव रीती की रीती ही रही
- मीरा चरित्र - उनके चरणों के दर्शन-चिंतन मात्र से ही विपत्ति का भय नष्ट हो जाता है।
- मीरा चरित्र -वृन्दावन तो परम दिव्य-ज्योतिर्मय धाम हैं
- मीरा चरित्र - लोकैष्णा (लोक कीर्ति) ज़हर के समान है
- मीरा चरित्र - हरि रिझाये हरि मिले खाली रहे न कुठाल
- मीरा चरित्र - मेरे भीतर भी तो कोई बसता हैं
- मीरा चरित्र - प्रभू का प्रत्येक विधान रसपूर्ण है
- मीरा चरित्र - मेरे भक्त की सेवा,प्रशंसा करने वाला मुझे बहुत प्रिय है
- मीरा चरित्र - मीरा जी का द्वारिका प्रस्थान
- मीरा चरित्र - गिरधर जी का आया बुलावा
- मीरा चरित्र - कोई कहियो री हरि आवन की
- मीरा चरित्र - मीरा के प्रभु गिरधर नागर , काटो जम की फाँसी
- मीरा चरित्र - राम नाम रस पीजे मनुवा
- मीरा चरित्र - मीरा तो प्रभु थाँरी सरणाँ जीव परम पद पावे
- मीरा चरित्र - भावो की विभिन्न दशाये
- मीरा चरित्र - संतो कर्म की गति न्यारी
- मीरा चरित्र - प्रेम भक्ति को पेंडों ही न्यारो, हमकूँ गैल बता जा
- मीरा चरित्र - दरस बिन दूखण लागे नैन
- मीरा चरित्र - मीरा रे सुख सागराँ म्हाँरे सीस बिराजाँ हो
- मीरा चरित्र - मीरा बाई जी का दिव्य द्वारिका में प्रवेश
- मीरा चरित्र - मीरा का दिव्य द्वारिका में स्वागत
- मीरा चरित्र -दिव्य द्वारिका में नवकिशोरी दुल्हन के रूप में मीरा
- मीरा चरित्र - मीरा को दिव्य द्वारिका में द्वारिकाधीश के दर्शन
- मीरा चरित्र - मैं तो होये रही चेरी तोरी
- मीरा चरित्र - मीरा जी के पूर्व जन्म का वृत्तान्त
- मीरा चरित्र - मीरा को निज लीन किय नागर नन्दकिशोर
- मीराबाई की कल्पना में श्याम सुन्दर जी
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