जाके प्रिय न राम वैदेही
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DISCLAIMER:Small effort to expression what ever we read from our scripture and listened from saints. We are sorry if this hurts anybody because information is incorrect in any context.
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आध्यात्मिक रामायण
- जाके प्रिय न राम वैदेही
- भजन में डूब जाने का नाम ही समाधि है
- करे संवेदनाओ का सम्मान
- अपनी अपनी समर्थ से भगवत कार्य में लगे
- साधक को साधना का सेतु बनाना ही पडता है
- भजन का भार उठाओ तो सही कृपा का हाथ तुरंत आ जायेगा
- जिसे भगवान छोड़ दे उसे कौन बचा सकता है
- भक्त का संकल्प कभी नहीं टूटता
- काम की मूर्छा को कोई संत ही दूर कर सकता है
- मोह की मार बहुत तगड़ी होती है
- अजर अमर गुननिधि सूत होहू
- जिसके पास ऐसा धर्ममय रथ हो उसे कोई नहीं हरा सकता
- मोह और अहंकार का नाश भगवान ही करते है
- जब तक जीव नहीं कहता भगवान उसके मोह को नहीं मारते
- अनीति की कमाई धर्म में लगा दो
- साधक की हर रोज दीवाली है
- जो स्वयं रोये और दूसरों को रुलाये वही तो रावण है
- जैसी हमारी द्रष्टि होगी वैसी सृष्टि हमें दिखायी देगी
- मन को परमात्मा से जोड़े
- रावण रूपी दुर्गुण का जीवन में प्रवेश करने का पहला माध्यम - धन
- रावण रूपी दुर्गुण का जीवन में प्रवेश करने का दूसरा माध्यम - तन
- रावण रूपी दुर्गुण का जीवन में प्रवेश करने का तीसरा माध्यम - मन
- ऐसी व्याकुलता होते ही भगवान मिल जाते है
- बड़े काम की है रावण की बताई ये 3 बातें
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