रास लीला (आध्यात्मिक पक्ष)
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दशम स्कंध
- रास लीला
- श्रीकृष्ण के विरह में गोपियों की दशा
- गोपी गीत
- भगवान का प्रकट होकर गोपियों को सांत्वना देना
- महारास
- रास लीला (आध्यात्मिक पक्ष)
- गोपियों की पूजा पद्धति
- गोपी
- जो कृष्ण वांछा को पूर्ण करे, वे राधा है
- रास की रात्रियाँ भी अप्राकृत है
- योगमाया का आश्रय लेकर भगवान रास की भूमिका बनाते है
- जब चंद्रमा हुआ पानी-पानी और बन गया चन्द्रसरोवर
- राधा माधव के मध्य का प्रेम ही वंशी है
- काम वो जो वासना नहीं उपासना बढ़ाये
- विप्रलम्ब और मिलन रूपी दो भावो को गोपियों ने धारण किया
- साधना के पथ पर दो का संग नहीं
- विषय में लगी हुई बुद्धि ठाकुर जी में लग गई
- गोपियाँ ऐसे उज्ज्वल रस में स्थित है जहाँ सारे रस फीके है
- एक परमात्मा ही तो है जो तन नहीं अच्छा मन देखते है
- सत्संग और कृष्ण कथा से अपनी मनोवृति को शुद्ध करे
- भगवान से सम्बन्ध जरुरी है भाव चाहे कैसा भी हो
- जिसने परमात्मा के लिए सर्वस्व त्यागा वही महाभाग है
- जहाँ काम की भी दाल नहीं गली
- आग लगे वा वासन में जिनते बनी ये निगोडी वंशी
- संसार के सारे सम्बन्ध व्यर्थ के है
- जो इहलोक और परलोक को भी छोड़ दे वो गोपी है
- संसार को छोड़कर परमात्मा की ओर चलो
- भगवत प्रेम की प्राप्ति विरह से होती है
- जब तक प्रणय नहीं होगा तब तक परिणय कैसे हो सकता है
- जो भुक्ति और मुक्ति दोनों का त्याग करे,वह गोपी है
- मनुष्य जीवन का एक ही धर्म है श्री कृष्ण भक्ति
- जो श्रीकृष्ण में प्रेम उत्पन्न ना कर सके वह धर्म ही नहीं है
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