निताई,-निमाई की प्रेममयी वाणी
Use following code to Embebd This Article in your website/Blog
Tags :
DISCLAIMER:Small effort to expression what ever we read from our scripture and listened from saints. We are sorry if this hurts anybody because information is incorrect in any context.
|
चैतन्य जीवनामृत
- प्रेमावतार श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु
- कब और कैसे ठाकुरजी का विरह हजार गुना बढ़ जाता है?
- श्रीकृष्ण ने राधारानी जी से उनके महाभाव की याचना क्यों की ?
- महाप्रभु का प्रथम कृपापात्र
- महाप्रभु के बाल रुप में चतुर्भुज भगवान के दर्शन
- गौरांग महापृभु के मुख्य पार्षद श्री अद्वैताचार्य
- निमाई की चंचलता
- भगवत भक्ति परायण अद्वैताचार्य जी
- श्री अद्वैताचार्य की प्रार्थना पर प्रकटे श्री गौरांग
- विश्वरूप जी का वैराग्य
- विश्वरूप जी का गृह त्याग
- निमाई का अध्ययन के लिए आग्रह
- निमाई का यज्ञोपवीत संस्कार
- पिता का परलोक गमन
- निमाई की विलक्षण बुद्धि
- श्री महाप्रभु जी का त्याग
- श्री चैतन्य महाप्रभु का विवाह
- चंचल पंडित निमाई
- चंचल पंडित निमाई 2
- नवदीप में ईश्वरपुरी - पार्ट 1
- नवद्वीप में ईश्वरपुरी पार्ट-2
- पूर्व बंगाल की यात्रा पार्ट-1
- जब महाप्रभु ने जीवन का मूलमंत्र बताया
- पत्नी-वियोग और प्रत्यागमन
- नवद्वीप में दिग्विजयी पंडित
- दिग्विजयी का पराभव 1
- दिग्विजयी का पराभव 2
- दिग्विजयी का पराभव 3
- विषयों का तो आनंद तो वैराग्य का मैल मात्र ही है
- मनुष्य मात्र का कर्तव्य क्या है ?
- सर्वप्रिय निमाई
- पंडित श्रीवास जी और निमाई
- श्रीविष्णुप्रिया जी परिणय
- श्री विष्णु प्रिया परिणय- पार्ट 2
- श्री विष्णु प्रिया परिणय- पार्ट 3
- निमाई प्रकृति परिवर्तन
- महाप्रभु द्वारा बताई गौ ब्राह्मण की महिमा
- गया धाम की यात्रा 2
- गया धाम में श्री ईश्वर पुरी से भेंट
- बस ऐसे जीवन धारण करना सार्थक है
- निमाई पंडित को श्रीकृष्ण मन्त्र की दीक्षा
- महाप्रभु का नदिया में पुनः आगमन भावावस्था
- नदिया में महाप्रभु की भावावस्था
- महाप्रभु का वही प्रेमोन्माद
- महाप्रभु जी से विद्यार्थियों द्वारा पढ़ाने का आग्रह
- पं० गंगादास जी द्वारा महाप्रभु को समझाइश
- महाप्रभु जी की अध्यापकीय का अंत
- श्री महाप्रभु जी का अध्यापकीय का अन्त -2
- कृपा की प्रथम किरण रत्नगर्भ जी पर
- श्रीकृष्ण-प्रेम में मतवाले निमाई
- चैतन्य जीवनामृत - शचि माता का दुख
- चैतन्य जीवनामृत - अद्वैताचार्य को स्वप्न में महाप्रभु का विश्वम्भर के रूप में दर्शन
- चैतन्य महाप्रभु से अद्वैताचार्य जी का अपने वास्तविक स्वरुप में आने का आग्रह
- महाप्रभु द्वारा पार्षदों को गोपनीय रसास्वादन
- श्री वास के घर संकीर्तन
- गदाधर पर कृपालु की अहैतुकी कृपा
- शुक्लाम्बर ब्रह्मचारी पर कृपा
- कीर्तन को लेकर व्यर्थ चर्चाएं
- नदिया ग्राम में कीर्तन को लेकर लोग भयभीत
- महाप्रभु द्वारा श्री नृसिंह वेश दिखाकर श्री वास को निर्भय प्रदान करना
- भावावेश में प्रभु का श्री वास को समझाना
- महाप्रभु का श्री वाराहावेश
- मुरारी गुप्त पर महाप्रभु की कृपा
- निमाई के भाई निताई
- नित्यानंद (निताई) लीला
- सन्यासी द्वारा नित्यानन्द को माँ-बाप से भिक्षा के रूप में माँगना
- चैतन्य जीवनामृत - स्नेहाकर्षण
- निताई का भावावेश
- निताई,-निमाई की प्रेममयी वाणी
- व्यास पूजा
- व्यास पूजा भाग-2
- व्यास पूजा पार्ट-3
- व्यास पूजा के बाद महाप्रभु कीर्तन
- श्री अद्वैताचार्य के ऊपर कृपा
- अद्वैताचार्य द्वारा प्रभु की स्तुति
- अद्वैताचार्य को श्यामसुंदर स्वरूप के दर्शन
- अद्वैताचार्य को इष्ट के दर्शन
- अद्वैताचार्य ,श्री वास एवं महाप्रभु के बीच ठिठोली
- भावावेश में प्रभु का पुण्डरीक स्मरण
- प्रच्छन्न भक्त पुण्डरीक विद्यानिधि
- पुण्डरीक का भावावेश
- पुण्डरीक का महाप्रभु मिलन तथा गदाधर को मन्त्र दीक्षा
- निमाई और निताई की प्रेम लीला
- निमाई प्रभु का निताई को भोजन-आमंत्रण
- द्विविध भाव
- महाप्रभु भावावेश लक्षण
- भक्त हरिदास जी
- विगलित-नयन-कमल-जलधारं
- हरिदास जी द्वारा वारांगना उद्धार
- हरिदास जी के प्रति ईर्ष्या
- हरिदास जी की नाम निष्ठा
- हरिदास जी की सहृदयता
- श्री चैतन्य महाप्रभु की कृपा प्राप्त करने का उपाय
- श्री नित्यानंद त्रयोदशी प्रभु के आविर्भाव दिवस विशेष
- हरिदास जी की श्रद्धा भक्ति
- हरिदास जी द्वारा नाम माहात्म्य
- हरिदास जी द्वारा नाम माहात्म्य2
- हरिदास जी की दूसरी घटना
- श्री वास के घर भक्तों का एकत्र होना
- भावावेश में भक्तों द्वारा प्रभु की सेवा
- प्रभु को व्यंजन अर्पित
- चैतन्य जीवनामृत - भक्तों को भगवान् के दर्शन
- भक्त श्रीधर को महाप्रभु के दिव्य दर्शन
- मुरारी गुप्त को महाप्रभु के दिव्य दर्शन
- मुकुंददत्त पर प्रभु की कृपा
- भगवद्भाव की समाप्ति
- प्रेमोन्मत्त अवधूत नित्यानंद जी
- अवधूत नित्यानंद जी की प्रेमावस्था
- प्रेमोन्मत्त अवधूत का पादोदकपान
- घर घर में हरिनाम का प्रचार
- नित्यानंद जी और हरिदास के प्रचार का प्रभाव
- भक्तों द्वारा महाप्रभु जी से जगाई मधाई उद्धार की विनय
- नित्यानंद जी की दयालुता
- नित्यानंद और हरिदास जी की नोक झोंक
- हरिदास जी, नित्यानंद जी के मुख से नगर प्रचार का वृतांत सुनाना
- जगाई मधाई के उद्धार का निकट समय
- भक्तों द्वारा महाप्रभु जी से जगाई मधाई उद्धार की विनय
- महाप्रभु जी का जगाई मधाई पर क्रोध
- नित्यानंद जी की महाप्रभु से जगाई मधाई उद्धार के लिए विनय
- जगाई मधाई की नित्यानंद जी से विनती
- जगाई मधाई की प्रभु के चरणों में विनती
- जगाई मधाई का उद्धार
- जगाई मधाई का पश्चाताप
- मधाई की नित्यानंद जी से प्रार्थना
- सज्जन भाव
- महाप्रभु की सरलता
- महाप्रभु का सुन्दर व्यवहार
- श्री वास पण्डित के घर प्रभु का भावावेश
- श्री कृष्ण लीलाभिनय
- श्री कृष्ण लीला आरम्भ
- श्रीकृष्ण लीला आरम्भ 2
- श्रीकृष्ण लीला आरम्भ 2
- महाप्रभु भुवनमोहिनी लक्ष्मी देवी वेष में
- श्री महाप्रभु का भुवनमोहिनी रूप
- संकीर्तन का महत्व और गरुड़ लीला
- मुरारी गुप्त पर कृपा
- श्री महाप्रभु जी और नित्यानंद जी का अद्वैताचार्य के घर आगमन
- श्री महाप्रभु जी भक्तों के घर जाना
- भगवत् भजन में बाधक भाव
- शचीमाता द्वारा नामापराध
- वैष्णव अपराध
- प्रभु का देवानंद पण्डित काे अपराध बताना
- महाप्रभु जी द्वारा हरिनाम की शिक्षा
- महाप्रभु जी द्वारा हरिनाम की शिक्षा
- नदिया में प्रेम प्रवाह
- प्रभु के प्रभाव से लोगों में द्वेष
- काजी का अत्याचार
- काजी का अत्याचार
- नगर कीर्तन के लिए प्रोत्साहन
- नगर कीर्तन की तैयारियाँ
- श्री महाप्रभु जी का नगर कीर्तन के समय अद्भुत रूप
- नृत्य, के साथ नगर संकीर्तन
- नगर कीर्तन में प्रभु का स्वागत
- नगर कीर्तन सहित महाप्रभु जी काजी के घर
- काजी और श्रीधर पर कृपा
- महाप्रभु लीला
- श्री वास पण्डित के घर प्रभु का कीर्तन
- कीर्तन के समय श्री वास के पुत्र का शरीर त्याग
- श्री वास पण्डित के पुत्र से प्रभु की बात
- शरणापन्न भक्तों को ही दिव्य स्वरूप के दर्शन
- विजय आख़रिया और ब्रह्मचारी जी पर कृपा
- प्रभु का नवानुराग और गोपी भाव
- गोपी भाव में विभोर
- कुछ लोगों से महाप्रभु का बढता यश असहनीय
- सन्यास से पूर्व
- भक्त वृन्द और गौर हरि सन्यास से पहले
- सन्यास से पहले दुखी नित्यानंद जी और मुकुंद का समझाना
- गदाधर को सन्यास के लिए समझाना
- प्रभु का मुरारी गुप्त तथा भक्तों को समझाना
- शचीमाता और गौरहरि, सन्यास से पूर्व
- सन्यास को लेकर गौर हरि का माता को समझाना
- विष्णु प्रिया और गौरहरि
- विष्णुप्रिया जी को सन्यास से पहले समझाना
- विपरीत अवस्था जीव कल्याण के लिए
- महाप्रभु का नवद्वीप में अंतिम दिन
- महाप्रभु जी का गृह त्याग
- नवद्वीप में हाहाकार
- गौरहरि का सन्यास के लिए आग्रह
- गौरहरि को स्त्री पुरूषों द्वारा समझाना
- श्री कृष्ण भक्ति बडी दुर्लभ, महापुरूषों की संगति उससे भी दुर्लभ
- भारती जी सन्यास के लिए राजी
- इन्हें धर्म तत्व कोई समझा ही नहीं सकता
- इन्हें धर्म तत्व कोई समझा ही नहीं सकता
- नापित का इनकार - मुझसे ये निर्दय काम कभी न होगा
- नापित हरिदास की अहैतु की भक्ति
- मर्यादा की रक्षा के लिए सन्यास
- प्रभु का संन्यास के बाद नाम श्री कृष्ण चैतन्य
- अश्रु विमोचन करते हुए जब भारती जी प्रभु के पैरो में पडे
- प्रभु के साथ ही सब चल पड़े
- प्रभु का अद्वैताचार्य के पास जाने का विचार
- चन्द्रशेखर आचार्य प्रभु के वियोग में दुखी होकर रोना
- माता द्वारा आचार्य से दुखी होकर महाप्रभु के बारे में पूछना
- सभी को सन्यासी महाप्रभु के दर्शन की खबर सुनकर अश्रुपात
- नित्यानंद द्वारा माता को आश्वासन प्रभु से मिलाने का
- प्रभो आप तो चराचर जीवों के पिता हैं
- जगन्नाथ में तो इतने पदार्थ खा लेते हैं
- आचार्य और नित्यानंद जी में विनोद की बातें
- भक्तों को तथा माता को सन्यासी पुत्र का मिलन
- श्री अद्वैताचार्य और महाप्रभु का भावावेश नृत्य
- मैं अब जगन्नाथ पुरी निवास करूँगा- महाप्रभु
- प्रभु के साथ चार भक्तों के जाने की तैयारी
- महाप्रभु का जगन्नाथ पुरी की ओर प्रस्थान
- प्रभु ने सभी के त्याग वैराग्य की परीक्षा ली
- प्रभु द्वारा भक्तों को अम्बुलिंग शिवलिंग के बारे में बताना
- प्रभु का नौका (नाव) में संकीर्तन
- प्रभु ने कहा हम तो अकेले ही हैं
- नित्यानंद जी द्वारा महाप्रभु जी का दण्ड भंग
- प्रभु का नित्यानंद जी के प्रति स्नेह प्रदर्शन
- इन्होंने तो ऐसे प्याले को पी लिया है
- गोपाल जी के खीर चोरी करने का क्या कारण था
- जब भगवान् ने दूध पिलाया माधवेंद्र पुरी को
- श्री गोपाल जी के प्राकट्योत्सव पर अन्नकूट उत्सव
- जब खीर की चोरी की भगवान् ने पुरी जी के लिए
- प्रतिष्ठा को शूकरीविष्ठा और गौरव को रौरव नरक के समान
- पुरी महाराज की अलौकिक श्रद्धा
- साक्षी गोपाल का प्रकट होना
- वृद्ध ने गोपाल को गवाह बना लिया
- गोपाल जी का युवक के साथ गवाही के लिए आगमन
- साक्षीगोपाल और जगन्नाथ जी में प्रेम कलह
- श्री भुवनेश्वर महादेव बिन्दुसर तीर्थ
- शिवजी ने दे डाला अनोखा वरदान
- शिवजी आप तो साक्षात् मेरे स्वरूप ही है
Send your article to [email protected]
to add in radhakripa.
to add in radhakripa.
Last Viewed Articles
459 | 0.0 | |
1619 | 0.0 | |
1511 | 0.0 | |
1185 | 0.0 | |
275 | 0.0 |
eBook Collection
Copyright © radhakripa.com, 2010. All Rights Reserved
You are free to use any content from here but you need to include radhakripa logo and provide back link to http://radhakripa.com
You are free to use any content from here but you need to include radhakripa logo and provide back link to http://radhakripa.com