भगवान शक्ति और ज्ञान के भण्डार हैं.
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DISCLAIMER:Small effort to expression what ever we read from our scripture and listened from saints. We are sorry if this hurts anybody because information is incorrect in any context.
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भगवत चिंतन
- आत्म निरीक्षण
- क्या है सबसे कीमती धन
- इसके जीवन से जाते ही व्यक्ति निर्जीव हो जाता है
- क्या है बहुत पापों से बचने का तरीका
- क्या बोल रहा है आपका जीवन?
- वो कौन है जो हमे रुलाता है?
- ये दो चीजे कभी न छोड़े
- इस एक चीज का तिरस्कार कभी न करे
- कही आपकी संकल्प शक्ति कमजोर तो नहीं है ?
- आप किस तरह का दान करते है
- जीवन बीत चला
- क्या आपका प्रत्येक कर्म धर्ममय है?
- स्वार्थ में नहीं परमार्थ में जीना सीखो
- इससे ऊँची कोई द्रष्टि नहीं है.
- अपने जीवन में और जुबान पर ये गुण अवश्य रखे
- बस यही सज्जनता व महानता का लक्षण है.
- जीवन की सफलता के लिए बहुत जरुरी है ये कार्य
- क्या आप अपने मूल स्वभाव में रहते है
- इस एक गुण के आते ही सारे क्लेश खत्म हो जाते है
- इस एक चीज के लिए सदैव प्रयत्नशील बने रहो
- प्रवृत्ति तो संत संगति से ही सुधरती है
- आनन्द साधन से नहीं साधना से प्राप्त होता है.
- भूमि नहीं अपनी भूमिका बदलो.
- ये तीनों ही नर्क के द्वार है
- कब और कैसे मृत्यु मंगलमय बन जाती है
- क्या आपके पास भी है ये हुनर
- प्रभु पर भरोसा ही भजन है
- भगवान केवल क्रिया से भेद करते हैं भाव से नहीं.
- बस यही है जीने की कला
- इस एक रोग के लिए केवल प्रभु कथा ही महौषधि है
- काम की जगह राम में जीना सीखे
- जो भवसागर से भावसागर में प्रवेश करा दे वही कथा है
- कुसंग का त्याग ही सत्संग है
- जीवन में पद से ज्यादा महत्व पथ का है.
- भगवान् का स्मरण ही संपत्ति है.
- मन का मौन ही सर्वोत्तम है
- यही तो मानव बनने की कसौटी है
- जीवन में उत्कर्ष के लिए संघर्ष जरुरी है.
- क्या आपको भी परेशान करते है ये शत्रु
- जीवन की सम्पूर्णता का नाम ही तो कृष्ण है.
- श्री कृष्ण के चरणों का अनुराग यही सबसे बड़ा वैराग्य है
- हरिनाम स्वयं रसस्वरूप कृष्ण ही हैं
- भवरोग से ग्रस्तों के लिए भागवत औषधि है
- भगवान का नाम ही सबसे श्रेष्ठ है
- पाप न करना भी महान पुण्य ही है
- ऐसा करने से सम्पूर्ण जीवन सार्थक हो जाता है.
- भगवान के कृपापात्र बनने का प्रयास करो
- क्या हम सार ग्राही है
- जिस अमृत का कभी नाश न हो वह प्रेमामृत ही है
- मन बदलने का प्रयास करो मन्त्र बदलने का नहीं.
- जहाँ आत्म सुधार की प्रवृत्ति है, वहीँ परमात्मा से मिलन भी है.
- जिससे लोक कल्याण हो वही सत्कर्म है.
- तृष्णा कभी वृद्धा नहीं होती
- परिवर्तन ही दुनिया का शाश्वत सत्य है.
- जो जगा हुआ है वही योगी है
- पर पीड़ा का दर्शन महानता का लक्षण है.
- सुख बाहर की नहीं, भीतर की संपदा है
- हर गलती एक अवसर, एक सबक है
- हम वैष्णवों का सबसे बड़ा धन तो श्री कृष्ण ही हैं.
- जिया सदैव वर्तमान में ही जाता है
- भगवान शक्ति और ज्ञान के भण्डार हैं.
- सहनशीलता भगवत्प्राप्ति मार्ग में एक साधना है
- देव या दानव होना, मनुष्य के हाथों में हैं.
- कलियुग में नामसेवा प्रधान है
- सच्चे वैष्णव का मन कृष्ण से ही बंधा रहता है
- भाग्य में कर्म रुपी रंग तो हम खुद ही भरते है
- जीवन में त्याग और प्राप्ति दोनों का सामंजस्य होना आवश्यक है
- आशा हि परमं दुखं
- श्रद्धा मन का सामर्थ्य है
- प्रयास की अंतिम सीमाओं तक जाओ
- महापुरुषों के चरण नहीं उनका आचरण पकड़ो
- कही हम भी तो नहीं करते मानसिक आलस्य
- जीवन में जितनी सहजता आएगी मन उतना शांत रहेगा
- सेवा का आरम्भ मन से होता है
- क्षमा वाणी का आभूषण है
- जीवन में रहस्य नहीं हैं जिन्हें आप सुलझाते रहे
- धन साधन है साध्य नहीं
- कष्ट कारक नहीं कष्ट निवारक बनो।
- सदा सुखी कौन है ?
- सोचने में अदभुत सामर्थ्य है
- क्या है सबसे उपयोगी शिक्षा ?
- क्या है दुनिया में सबसे मुश्किल?
- क्या आप जानते है ज्ञान का उद्देश्य क्या है ?
- भक्ति ही श्रेष्ठ है
- उसे हर घड़ी आनन्द ही आनंद
- रघुपति भगतु जासु सुतु होई
- समभाव ही तो योग है
- भोग बुरे नहीं हैं अपितु उनकी आसक्ति बुरी है
- यही हमारा मूल स्वभाव है।
- यह माया बड़ी दुस्तर है
- इसी का नाम है चित शुध्दि
- मनुष्य जीवन का समय बहुत कीमती है
- आपका विचार ही आपका व्यक्तित्व है
- बस यही सज्जनता व महानता का लक्षण है।
- ये दो शब्द बड़े विलक्षण है- सदुपयोग और दुरुपयोग
- भगवान् जिस पर कृपा करते हैं,उसको सत्संग देते हैं.
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