भक्त का ऐसा भाव ही उसे परम ऊंचाई देने वाला है
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आध्यात्मिक रामायण
- जो इन दोनो को जीतता है वही बुराईयों को जीत सकता है
- अपराध किसी का, क्षमा किसी से
- प्रेम अपने में दोष और दूसरों में गुणों को देखता है
- जीवन में संयम नियम के बाणों को हमेशा पैना रखिये
- दुर्गुणों को केवल भगवान ही मार सकते है
- माया सोने का मृग है
- भक्ति छोड़कर माया के पीछे न भागे
- जीवन में कभी भी मर्यादाओ का उलल्घन न करे
- न हरण से, न वरण से,प्रभु के चरण से भक्ति मिलती है
- अपने पुण्यो का खाता खोल लो
- गल गए ठाकुर हम नहीं जानी
- साधक में हो शबरी जैसा धैर्य और विश्वास
- भक्ति का प्रश्नपत्र कितना सरल है
- भगवान की निष्काम भक्ति ही श्रेष्ठ है
- श्रद्धा के साथ शुद्धता जरुरी है
- आशीर्वाद माँगा नहीं जाता स्वयं मिल जाता है
- कथा अमृत है बाकि सब मृत है
- आदमी बड़ा नहीं होता भक्ति बड़ी होती है
- भक्ति संक्रामक रोग है जो संग में रहने ही लग जाता है
- ग्राम्य कथा ना सुने इससे भजन बिगडता है
- गुरु के वचनों को कभी ना छोड़े
- भगवान के गुणों का गान करने से भगवान ह्रदय में आकर बैठ जाते है
- जिस महामंत्र को स्वयं शिव जी भी जपा करते है
- रास्ता वही बता सकता है जो संगम पर बैठा है
- शांति तो जीवन का आभूषण है
- जहाँ स्वयं भगवान को भी कल्याण करना पड़ता है
- भक्त का ऐसा भाव ही उसे परम ऊंचाई देने वाला है
- एकइ धर्म एक व्रत नेमा
- इन 6 को कभी छोटा यानी कमजोर नहीं समझना चाहिए
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